भारतीय उद्द्यमियों को ग्लोबल एन्त्रेप्रेंयूराल विज़न रखने की आवश्यकता: डॉ जस्टिन पॉल

पीआईएमआर  के  चौदहवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन  हुआ

इंदौर : आज का ज़माना वैश्वीकरण का है।यदि आपकी सोच, आपकी स्ट्रेटेजी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की नहीं होगी तो वैश्विक बाज़ार में आपके कंपनी के टिके रहने की गुंजाइस कम होती चली जाती है अधिकांश भारतीय कंपनियों के साथ समस्या यह है कि यहाँ के लोगों में उद्द्यमियता के प्रति उनकी दृष्टि वैश्विक नहीं होती। आज भारत में ऐसे बहुत सारी  कंपनियां हैं जो या तो शहर, या जिला या फिर राज्य स्तर पर चलाई जा रही है, फलस्वरूप इन कंपनियों के सर्वाइवल की गुंजाइस कम होती चली  जाती है।  यह बात यूनिवर्सिटी ऑफ़ प्यूर्टो रीको, अमेरिका  के प्रोफेसर एवं एसोसिएट डीन डॉ जस्टिस पॉल ने आज प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड रिसर्च द्वारा ऐ आई सी टी इ, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित   “उभरते वैश्विक परिदृश्य में लीडरशिप और गवर्नेंस  के रणनीतियों पर पुनर्विचार” विषय पर आयोजित  14वीं  अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में मुख्य वक्त के रूप में कही।

उन्होंने कहा जापान एवं अमेरिका जैसे देशों में ग्लोबल बिज़नेस के बारे में चर्चा  होती है।  इन देशों में जितनी भी कंपनियां हैं वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रही हैं क्योंकि वहां के लोगों का एन्त्रेप्रेंयूराल इंटेंशन ग्लोबल होता है।  भारत की कंपनियां अच्छा परफॉरमेंस और अच्छा ग्रोथ तभी दे सकती हैं जब वो वैश्विक स्तर पर कार्य करेंगी।  

“आज उद्यमियों को वैश्विक स्तर पर जाने की जरूरत है, और उन्हें पोटेंशियल , प्रोसेस , पाथ, पैटर्न एवं परफॉरमेंस जैसे  सात `पी’  के सिद्धांतों का अनुसरण करने की आवश्यकता है।  नए उद्यमी को विश्व स्तर पर सोचने और स्थानीय स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। हम सभी में असीमित छमताएँ  हैं बस ये समझना ज़रूरी हैं की कैसे कैसे संवारने और कड़ी मेहनत करने से किसी भी कंपनी या कंपनी की सफलता होती है।“

वित्त  की  आसान  उपलब्धता  एक  समस्या  है : डॉ  मनप्रीत  सिंह  मन्ना

अपने सेशन में  गेस्ट ऑफ ऑनर डॉ. मनप्रीत सिंह मन्ना, ऐ आई सी टी ई  के पूर्व निदेशक और एसोसिएट प्रोफेसर,  लोंगोवाल ने कहा “हमें अपने देश पर गर्व होना चाहिए, भारत के नागरिक होने के नाते, आज भारतीय हर जगह अपना परचम लहरा रहे हैं प्रबंधन के लिए पुनर्विचार महत्वपूर्ण है, एशिया और भारत सबसे गर्म बाजार हैं, । हम हर जगह सफल हो रहे हैं और विश्व हमें एक शक्ति के रूप में देख रहा है । वित्त की आसान उपलब्धता एक समस्या है। यदि कोई व्यवसाय ऋण या बीमा के साथ शुरू होता है, तो उनके पास जोखिम है। राष्ट्रवाद के पीछे वामपंथ एक बड़ी समस्या है।

हमें अनुसंधान और विकास कल्चर नहीं, स्टार्टअप कल्चर की जरूरत है। स्टार्टअप संस्कृति को वापस लाना महत्वपूर्ण है, क्यूंकि बहुत कम समय में काफी आयाम और उनके लाभान्वित परिणाम  देखने को मिले । हमें अच्छे निर्माता / इनोवेटर्स होने चाहिए।“

हमें प्रगति के लिए स्वदेशी होना चाहिए,  देश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है और शायद यही एक अवधारणा है जो भारत को काफी आगे  तक ले कर जायेगा ।“

गवर्नेंस की यात्रा  एक  कहानी  की तरह है : डॉ परमेश्वरन के

कानून के एसोसिएट प्रोफेसर एवं गुजरात के राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय, गांधीनगर के एसोसिएट प्रोफेसर, डीन ऑफ एलुमनी रिलेशन डॉ. परमेश्वरन के ने कहा “आज  गवर्नेंस की  कुछ दिशा में बहुत कुछ होना  है, गवर्नेंस की यात्रा एक कहानी की तरह है । सभी प्रकार के शासन में कुछ न कुछ कमी है, शासन जो कि काफी हद तक सामाजिक बाह्यताओं पर आधारित था और सभी के सक्षम साबित नहीं हो रहा था । दूसरे चरण में  बाहरी लोगों के शासन के बाद लोगों का शासन आया, यहाँ मुद्दा नैतिकता का था ।अगली समस्या यह थी कि शासन को संभालने वाला व्यक्ति लालची था इसलिए हमें लगा कि नैतिक और पारदर्शी शासन अधिक महत्वपूर्ण है । उन्होंने कहा कि चेतना द्वारा शासन आत्म जागरूकता है, हमें पुरानी पद्धति पर वापस नहीं जाना चाहिए बल्कि चेतना के उद्देश्य से धर्मी इरादे पर काम करना चाहिए ।”

दुनिया  में  50%  समस्याएं  नेतृत्व  के  साथ  पैदा  होती  हैं: डॉ  रविंद्र  रैना

वरिष्ठ अर्थशास्त्री एवं  एनडब्ल्यूयू बिजनेस स्कूल, दक्षिण अफ्रीका में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर,   डॉ. रविंदर रेना, ने कहा  “दुनिया में 50% समस्याएं नेतृत्व के साथ पैदा होती हैं और 50% शासन के साथ होती हैं, हमने लोकतंत्र को इस तरह पुनर्परिभाषित किया कि सरकार लोगों द्वारा नहीं, बल्कि लोगों से शक्ति खरीद रही है हम उन प्रमुख तत्वों का अभाव कर रहे हैं जो हमारे पास हैं ।

हम जैसे छोटे मुद्दों को देखने की जरूरत है – योग्यता (लोग शीर्ष पदों पर हैं, लेकिन योग्यता नहीं रखते हैं) व्यावहारिकता (हमें व्यावहारिक अनुप्रयोगों में बेहतर होने की आवश्यकता है)खराब शासन व्यवस्था (रिश्वत के बदले रिश्वत) डकैती, अक्षमता, भ्रष्टाचार, घोटालों के बजाय हमें खराब शासन से लड़ने के लिए इस पहलुओं के खिलाफ लड़ने की जरूरत है  । रिश्वत भ्रष्टाचार और घोटालों हमारे देश के लिए समस्याएं हैं। नेल्सन मंडेला का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास प्रमुख नेता नहीं हैं। नेताओं को शासन नहीं करने के लिए नेतृत्व करना है।

प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, इंदौर; द्वारा आयोजित चौदहवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में कांफ्रेंस की थीम “उभरते वैश्विक परिदृश्य में लीडरशिप और गवर्नेंस  के रणनीतियों पर पुनर्विचार” विषय पर  लगभग 100 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।

सम्मेलन के दूसरे दिन विद्याथियों के लिए जिज्ञासा नामक  प्रतियोगिता का आयोजन भी था, जो की  एक पहल है प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च द्वारा , जिसमे  अनुसंधान के  छेत्र  में  छात्रों के बीच कौशल को बढ़ावा देने के लिए संस्थान राष्ट्रीय अनुसंधान पेपर प्रतियोगिता का आयोजन करता आ रहा है । प्रबंधन छात्रों से कॉर्पोरेट की उम्मीदें, संगठनों में ज्ञान प्रबंधन, भारत में विभिन्न व्यापार नीतियां, वेयरहाउस मैनेजमेंट सिस्टम की सप्लाई चेन में रिटेल स्टोर्स इत्यादि  शोध पत्रों  की  प्रस्तुति हुई ।

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